विभा चीखते चिलाते हुए बोली, “धोखा हमारे साथ हुआ है । हम इस धोखे का बदला लेने वापस आएंगे । इस महल और इस परिवार को इस के किये की सजा देने हम वापस आएंगे । कुँवर प्रवर्द्धन इस बार हम आप का पयार नहीं नफरत बन कर आएंगे ।”
आग की लपटों ने विभा को घर लिया ।
200 साल बाद
लंदन
सुबह का वक्त
एक बड़े से आलीशान महल जैसे घर में मौजूद लग्जरी किचन में एक औरत जिसकी उम्र लगभग 40 साल के आसपास थी नौकरों को खाना बनाने का ऑर्डर दे रही थी सुबह का वक्त होने की वजह से वहां पर सुबह का नाश्ता बन रहा था ।
उसे औरत ने साड़ी पहनी थी और देखने में बहुत ही डीसेंट लग रही थी ।
कांति राठौड़ रसोई में खड़ी नौकरों को हिदायत दे रही थी, "विभा को दोपहर की फ्लाइट से इंडिया जाना है, जल्दी से उसका नाश्ता तैयार करो। मेरी भतीजी भूखे पेट नहीं जाएगी।" नौकर तेजी से हाथ चलाने लगे। नाश्ता लगभग तैयार होने ही वाला था, जब कांति की नजर किचन की दीवार पर टंगी घड़ी पर पड़ी। वह चौंकते हुए बोली, "ओएमजी! 10 बज गए, और ये लड़की अब तक नहीं उठी! 1 बजे फ्लाइट है, भाई साहब को गुस्सा आ जाएगा अगर उसने फ्लाइट मिस कर दी।"
बड़बड़ाते हुए कांति रसोई से बाहर निकल आई और जोर से पुकारने लगी, "विभा! विभा बेटा, उठ जाओ!" वह पुकारते-पुकारते सीढ़ियां चढ़कर तीसरी मंजिल पर पहुंची, जहां एक बड़े और आलीशान कमरे में विभा गहरी नींद में सो रही थी। कमरे की सजावट उसकी प्रोफेशनल लाइफ की कहानी कह रही थी—वेडिंग डेकोरेशन के सैंपल्स, विभिन्न देशों और रीजन की शादी और रिसेप्शन की तस्वीरें, और रंग-बिरंगे चार्ट्स जगह-जगह सजे हुए थे। यह साफ दिख रहा था कि विभा एक वेडिंग प्लानर थी।
कांति कमरे के भीतर पहुंची और उसे सोता हुआ देखकर सिर पकड़ लिया। "ये लड़की... कभी तो टाइम पर उठ जाया करे!" उसने बड़बड़ाते हुए विभा को जगाने की कोशिश शुरू की ।
विभा करवट बदलते हुए बड़बड़ाई, "मौसी, पांच मिनट और... बस पांच मिनट!"
कांति ने माथा पकड़ा और बिस्तर के पास जाकर बोली, "पांच मिनट में तुम्हारा क्या होगा? फ्लाइट 1 बजे है और अभी तक तुम सो रही हो! जल्दी उठो, नाश्ता तैयार है।"
विभा ने आँखें मलते हुए एक हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "बुआ सा, मैं ना सुपरवुमन हूं, देख लेना, टाइम पर सब हो जाएगा।"
विभा, 22 साल की एक खूबसूरत और आत्मविश्वासी लड़की थी, जिसकी हर अदा में एक अलग सी चमक थी। उसकी बड़ी-बड़ी काली आँखें मानो हर किसी का दिल चुरा लेने के लिए बनी हों, और उन आँखों में गहराई ऐसी थी कि कोई भी उसमें खो जाए। उसकी लंबी, घनी पलकों ने उसके चेहरे को और भी आकर्षक बना दिया था। विभा का रंग गोरा था, लेकिन उसमें एक गुलाबी आभा हमेशा झलकती थी, जैसे सुबह की हल्की धूप किसी ताजे गुलाब पर गिर रही हो।
उसके लंबे, रेशमी बाल अक्सर उसके चेहरे पर गिरते रहते थे, जिन्हें वह हल्की मुस्कान के साथ पीछे करती, और वह मुस्कान ही उसकी सबसे बड़ी खूबसूरती थी—सादगी और आत्मविश्वास से भरी हुई। विभा की नाक नाजुक और सीधी थी, जो उसके चेहरे के तीखे नैन-नक्श को और भी निखारती थी।
उसकी पतली और सुडौल काया में एक सहज आकर्षण था। हर कदम पर उसकी चाल में एक नजाकत और आत्मीयता झलकती थी। वह जब भी बोलती, उसकी मीठी आवाज सुनने वाले को मानो किसी सुरमयी धुन का एहसास कराती। उसकी सुंदरता सिर्फ बाहरी नहीं थी; उसमें एक अलग-सी ऊर्जा और जीवन के प्रति सकारात्मकता थी, जो हर किसी को उसकी ओर खींच लेती थी।
कांति उसे घूरते हुए बोली, "सुपरवुमन बाद में बनना, पहले तैयार हो जाओ! अभी तो तुम हमारी प्यारी सी lazy गर्ल चलो बच्चा जल्दी से उठ जाओ ।"
विभा अपने बिस्तर से उठी और जल्दी से washroom में गई ।
“मैं तुम्हारे कपड़े निकाल रही हूँ । रेडी होकर नाश्ते के लिए आ जाना ।” कान्ति ने ये बोला और उस के लिए कपड़े निकालने के लिए अलमारी खोली ।
कुछ देर बाद
विभा अभी अपने कमरे में dressing मिरर के सामने बैठी बालों को संवार रही थी। सामने की बड़ी सी खिड़की से बाहर का नज़ारा दिख रहा था—नीला आसमान और शहर के ऊंचे-ऊंचे टॉवर्स। तभी उसका फोन बजा। स्क्रीन पर "पापा" का नाम चमकते ही उसकी हल्की मुस्कान गहरी हो गई। उसने तुरंत फोन उठाया।
"हेलो, पापा!" विभा ने चहकते हुए कहा।
दूसरी तरफ से एक गहरी, गंभीर आवाज आई, "विभा बेटा, कैसी हो? फ्लाइट के लिए तैयार हो रही हो ना?"
"जी पापा, लगभग तैयार हूं। बुआ सा ने सुबह-सुबह बवाल मचा दिया है," वह मुस्कुराते हुए बोली।
संजय राठौड़ हल्का हंसे, लेकिन फिर उनकी आवाज़ में एक खास गंभीरता आ गई। "बेटा, एक और काम है जो मैं तुमसे करवाना चाहता हूं। तुम्हें सीधे हमारे राजा सा के महल जाना होगा। उनके दोनों बेटों की शादी तय हो गई है, और वे चाहते हैं कि तुम इस शादी की प्लानिंग संभालो।"
विभा ने एक पल के लिए सोचना बंद कर दिया। "राजा सा के बेटे? पापा, आप जानते हैं कि मैं प्रोफेशनल हूं, लेकिन ये तो हमारे परिवार के बहुत नज़दीकी हैं। मैं कैसे—"
संजय ने उसे बीच में रोकते हुए कहा, "देखो विभा, यह काम सिर्फ एक वेडिंग प्लानिंग का नहीं है। राजा सा को हमारी परंपराओं और आधुनिक तरीकों का तालमेल चाहिए। तुम्हें नहीं पता पर उन के छोटा बेटा कुँवर प्रवर्द्धन फ़्रांस में पला बड़ा है इस लिए वो चाहते है कि भारतीय संस्कृति के साथ साथ विदेशी संस्कृति को झलकाया जाए और इसके लिए तुमसे बेहतर कोई नहीं। यह मौका है, जहां तुम्हारी पहचान और भी बढ़ सकती है।"
विभा ने अपनी घड़ी की ओर देखा। "पापा, मेरे पास वक्त कम है, लेकिन ठीक है। मैं अपनी टीम से बात कर लूंगी। फ्लाइट से उतरते ही आपको कॉल करूंगी।"
संजय ने स्नेह भरी आवाज में कहा, "मुझे पता था, मेरी बेटी मना नहीं करेगी। चलो, जल्दी करो। मैं राजा सा को बता दूंगा कि हमारी विभा ही उनकी शादियों का पूरा जिम्मा संभालेगी।"
फोन कटने के बाद विभा ने एक गहरी सांस ली। अपने कमरे की दीवारों पर सजी वेडिंग पिक्चर्स की ओर देखते हुए उसने सोचा, "यह अब तक का मेरा सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा। कुँवर प्रवर्द्धन ये मौका मुझे तुम्हारे कारण मिला है । डेकहना होगा कि कुँवर सा दिखते कैसे है ।" उसकी आंखों में एक चमक और दिल में जोश जाग चुका था।
आगे की कहानी जानने के लिए wait for next episode!
1 Comments
Next chapter please
ReplyDelete